रविवार, 31 जनवरी 2016

महाभारत की कहानिया ( Mahabharata story in hindi)

 आपको महाभारत ग्रंथ से जुड़ी  अलग-अलग  कहानियों के बारे में मालूम होगा लेकिन इनमें कई ऐसी भी कहानियां हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते हो


                     जानिए धार्मिक ग्रंथ महाभारत से जुड़ी हुई ऐसी ही कुछ कहानियों के बारे में

1. जब कौरवों की सेना पांडवों से युद्ध हार रही थी
तब दुर्योधन भीष्म पितामह के पास गया और उन्हें
कहने लगा कि आप अपनी पूरी शक्ति से यह युद्ध
नहीं लड़ रहे हैं. भीष्म पितामह को काफी गुस्सा
आया और उन्होंने तुरंत पांच सोने के तीर लिए और
कुछ मंत्र पढ़े. मंत्र पढ़ने के बाद उन्होंने दुर्योधन से
कहा कि कल इन पांच तीरों से वे पांडवों को मार
देंगे. मगर दुर्योधन को भीष्म पितामह के ऊपर
विश्वास नहीं हुआ और उसने तीर ले लिए और कहा
कि वह कल सुबह इन तीरों को वापस करेगा. इन
तीरों के पीछे की कहानी भी बहुत मजेदार है.
भगवान कृष्ण को जब तीरों के बारे में पता चला तो
उन्होंने अर्जुन को बुलाया और कहा कि तुम दुर्योधन
के पास जाओ और पांचो तीर मांग लो. दुर्योधन
की जान तुमने एक बार गंधर्व से बचायी थी. इसके
बदले उसने कहा था कि कोई एक चीज जान बचाने के
लिए मांग लो. समय आ गया है कि अभी तुम उन पांच
सोने के तीर मांग लो. अर्जुन दुर्योधन के पास गया
और उसने तीर मांगे. क्षत्रिय होने के नाते दुर्योधन ने
अपने वचन को पूरा किया और तीर अर्जुन को दे
दिए.

2. द्रोणाचार्य को भारत का पहले टेस्ट ट्यूब बेबी (test tube Baby)
माना जा सकता है. यह कहानी भी काफी रोचक
है. द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भारद्वाज थे और
उनकी माता एक अप्सरा थीं. दरअसल, एक शाम
भारद्वाज शाम में गंगा नहाने गए तभी उन्हें वहां एक
अप्सरा नहाती हुई दिखाई दी. उसकी सुंदरता को
देख ऋषि मंत्र मुग्ध हो गए और उनके शरीर से शुक्राणु
निकला जिसे ऋषि ने एक मिट्टी के बर्तन में जमा
करके अंधेरे में रख दिया. इसी से द्रोणाचार्य का
जन्म हुआ.

3. जब पांडवों के पिता पांडु मरने के करीब थे तो
उन्होंने अपने पुत्रों से कहा कि बुद्धिमान बनने और
ज्ञान हासिल करने के लिए वे उनका मस्तिष्क खा
जाएं. केवल सहदेव ने उनकी इच्छा पूरी की और उनके
मस्तिष्क को खा लिया.

  • पहली बार खाने पर उसे

दुनिया में हो चुकी चीजों के बारे में जानकारी
मिली.

  • दूसरी बार खाने पर उसने वर्तमान में घट रही

चीजों के बारे में जाना और

  • तीसरी बार खाने पर उसे भविष्य में क्या होने वाला है, इसकी जानकारी मिली.

4. अभिमन्यु की पत्नी वत्सला बलराम की बेटी थी.
बलराम चाहते थे कि वत्सला की शादी दुर्योधन के
बेटे लक्ष्मण से हो. वत्सला और अभिमन्यु एक-दूसरे से
प्यार करते थे. अभिमन्यु ने वत्सला को पाने के लिए
घटोत्कच की मदद ली. घटोत्कच ने लक्ष्मण को इतना
डराया कि उसने कसम खा ली कि वह पूरी जिंदगी
शादी नहीं करेगा.

5. अर्जुन के बेटे इरावन ने अपने पिता की जीत के
लिए खुद की बलि दी थी. बलि देने से पहले उसकी
अंतमि इच्छा थी कि वह मरने से पहले शादी कर ले.
मगर इस शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार नहीं
थी क्योंकि शादी के तुरंत बाद उसके पति को मरना
था. इस स्थिति में भगवान कृष्ण ने मोहिनी का रूप
लिया और इरावन से न केवल शादी की बल्कि एक
पत्नी की तरह उसे विदा करते हुए रोए भी.

6. सहदेव, जो अपने पिता का मस्तिष्क खाकर
बुद्धिमान बना था. उसमें भविष्य देखने की क्षमता
थी इसलिए दुर्योधन उसके पास गया और युद्ध शुरू
करने से पहले उससे सही मुहूर्त के बारे में पूछा. सहदेव
यह जानता था कि दुर्योधन उसका सबसे बड़ा शत्रु है
फिर भी उसने युद्ध शुरू करने का सही समय बताया.

7. धृतराष्ट्र का एक बेटा युयत्सु नाम का भी था.
युयत्सु एक वैश्य महिला का बेटा था. दरअसल,
धृतराष्ट्र के संबंध एक दासी के साथ थे जिससे युयत्सु
पैदा हुआ था.

8. महाभारत के युद्ध में उडुपी के राजा ने निरपेक्ष
रहने का फैसला किया था. उडुपी का राजा न तो
पांडव की तरफ से थे और न ही कौरव की तरफ से.
उडुपी के राजा ने कृष्ण से कहा था कि कौरवों और
पांडवों की इतनी बड़ी सेना को भोजन की जरूरत
होगी और हम दोनों तरफ की सेनाओं को भोजन
बनाकर खिलाएंगें. 18 दिन तक चलने वाले इस युद्ध में
कभी भी खाना कम नहीं पड़ा. सेना ने जब राजा से
इस बारे में पूछा तो उन्होंने इसका श्रेय कृष्ण को
दिया. राजा ने कहा कि जब कृष्ण भोजन करते हैं
तो उनके आहार से उन्हें पता चल जाता है कि कल
कितने लोग मरने वाले हैं और खाना इसी हिसाब से
बनाया जाता है.

9. जब दुर्योधन कुरूक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में आखिरी
सांस से ले रहा था, उस समय उसने अपनी तीन
उंगलियां उठा रखी थी. भगवान कृष्ण उसके पास गए
और समझ गए कि दुर्योधन कहना चाहता है कि अगर
वह तीन गलतियां युद्ध में ना करता तो युद्ध जीत
लेता. मगर कृष्ण ने दुर्योधन को कहा कि अगर तुम कुछ
भी कर लेते तब भी हार जाते. ऐसा सुनने के बाद
दुर्योधन ने अपनी उंगली नीचे कर ली.

10. कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती के किस्से तो
काफी मशहूर हैं. कर्ण और दुर्योधन की पत्नी दोनों
एक बार शतरंज खेल रहे थे. इस खेल में कर्ण जीत रहा
था तभी भानुमति ने दुर्योधन को आते देखा और खड़े
होने की कोशिश की. दुर्योधन के आने के बारे में
कर्ण को पता नहीं था. इसलिए जैसे ही भानुमति ने
उठने की कोशिश की कर्ण ने उसे पकड़ना चाहा.
भानुमति के बदले उसके मोतियों की माला उसके
हाथ में आ गई और वह टूट गई. दुर्योधन तब तक कमरे में
आ चुका था. दुर्योधन को देख कर भानुमति और कर्ण
दोनों डर गए कि दुर्योधन को कहीं कुछ गलत शक ना
हो जाए. मगर दुर्योधन को कर्ण पर काफी विश्वास
था. उसने सिर्फ इतना कहा कि मोतियों को उठा
लें.

11. कर्ण दान करने के लिए काफी प्रसिद्ध था.
कर्ण जब युद्ध क्षेत्र में आखिरी सांस ले रहा था तो
भगवान कृष्ण ने उसकी दानशीलता की परीक्षा
लेनी चाही. वे गरीब ब्राह्मण बनकर कर्ण के पास गए
और कहा कि तुम्हारे बारे में काफी सुना है और तुमसे
मुझे अभी कुछ उपहार चाहिए. कर्ण ने उत्तर में कहा
कि आप जो भी चाहें मांग लें. ब्राह्मण ने सोना
मांगा. कर्ण ने कहा कि सोना तो उसके दांत में है
और आप इसे ले सकते हैं. ब्राह्मण ने जवाब दिया कि
मैं इतना कायर नहीं हूं कि तुम्हारे दांत तोड़ूं. कर्ण ने
तब एक पत्थर उठाया और अपने दांत तोड़ लिए.
ब्राह्मण ने इसे भी लेने से इंकार करते हुए कहा कि खून
से सना हुआ यह सोना वह नहीं ले सकता. कर्ण ने
इसके बाद एक बाण उठाया और आसमान की तरफ
चलाया. इसके बाद बारिश होने लगी और दांत धुल
गया.

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गुरुवार, 28 जनवरी 2016

स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल वचन

 स्वामी विवेकानंद जी की  वह आठ बातें जो आज भी हमें राह दिखाती है



  1. उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक लक्ष्य हासिल ना कर लो|                                     
  2.  पवित्रता,दृढ़ता तथा उद्धम  यह तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूं |                                                  
  3. ज्ञान स्वयम में वर्तमान है, मनुष्य केवल उस का आविष्कार भर करता है  |                                    
  4. जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है, तब वह वास्तविक, भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है|                                                             
  5. एक बार विकसित हो  जाने पर, धर्मसंघ में भी बना रहना अवांछनीय है| उससे बाहर निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में सांस लो|                      
  6. जब तक जीना है, तब तक सीखना है| अनुभव से श्रेष्ठ शिक्षक जगत में दूसरा कौन है?                    
  7.  तुम मुझसे पूछते हो कि मैं युवा हूं, मैं क्या कर सकता हूं ? मैं तुमसे कहता हूं कि तुम युवा हो, तुम सब कुछ कर सकते हो|                                
8.  अपनी अंतरात्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत  झुकाओ |

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सोमवार, 25 जनवरी 2016

दूर करें तनाव (stress)

हमारा काम हमारी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होता है अगर आप अपनी लाइफ में तनाव ग्रस्त हो रहे हैं तो इन कुछ तरीके से आप अपने तनाव (stress) लेवल को मैनेज कर सकते हैं

 

  •  स्वस्थ हो लाइफ स्टाइल :- आपको यह बात भले ही पुरानी लगी लेकिन एक हेल्थी लाइफ स्टाइल का प्रभाव आपके काम पर जरूर पड़ता है

                        कुछ बातें ऐसी हैं जिंहें नियमित रूप से अपनानी से आप का तनाव लेवल कम होगा 
  •  हेल्थी खाना खाएं
  • नियमित वर्क आउट करें  और 
  • अपने शरीर को पर्याप्त आराम भी दे

        इन सभी बातों को अपनाने से आप का स्ट्रेस कम होगा  
  •   ट्रिगर पहचाने :- ट्रिगर  का मतलब  होता है परिकलन अर्थात किसी कार्यक्रम को क्रियाशील करना यह तो था इसका शाब्दिक अर्थ आइए अब जानते हैं कि हम इसका उपयोग अपने जीवन में कैसे कर सकते हैं इसके लिए जरुरी है कि हम अपने आसपास की चीजों को देखें और उसका विश्लेषण  करे से कि  कौन सी चीजें है जो आपको तनाव प्रदान करती है फिर यह तय करें कि आप उन चीजों को अपने क्रिया अनुसार कैसे बदल सकते हैं या फिर  चीजों के प्रति अपना व्यवहार बदल सकते हैं
  •   विवादों से रहे दूर :- क्रोध हो या फिर विवाद यह सभी ऐसी नकारात्मक. चीजें हैं जिनमें हमारी बहुत ज्यादा मात्रा में ऊर्जा नष्ट हो जाती है  तनाव stress  होने का यह भी एक कारण है                 ऑफिस के काम हो या फिर हमारे जीवन से जुड़े अन्य प्रसंग आप इस बात को जितनी जल्दी स्वीकार कर ले  उतना ही आपके लिए बेहतर है कि हर एक व्यक्ति के विचार किसी दूसरे व्यक्ति के विचार से अलग  हो सकते हैं इसीलिए सोच समझ कर अपनी बातों को किसी के भी सामने रखें और उनकी बातों को अच्छे से समझ कर अपनी प्रतिक्रिया  दें और नकारात्मकता को कम करें कुछ ऐसे समाधान ढूंढ है जहां आप दोनों पक्षों को संतुष्ट कर सकें 
 छोटे-छोटे  ब्रेक (Break_) ले:- मैं समझ सकता हूं की भाग दौड़ भरी जिंदगी में समय प्रबंधन करना थोड़ा कठिन हो जाता है और उस पर  ब्रेक break  लेने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता लेकिन यह बात भी सच है कि छोटे-छोटे  ब्रेक break ले कर आप ज्यादा और अच्छा काम कर सकते हैं
             लगातार कार्य करने से आप शारीरिक और मानसिक दोनों ही रुप से थक जाते हैं  यदि आप किसी भी कार्य ( फिर चाहे वह  ऑफिस हो या अन्य कार्य ) को छोटे छोटे ब्रेक  (break) लेकर करें दो आप बेहतर कर सकते हैं इस तरह के छोटे-छोटे  ब्रेक ( break) आपके मन और तन  दोनों को तरोताजा रखते हैं
                    धन्यवाद 

सोमवार, 18 जनवरी 2016

विवेकानंद जी के स्वाभिमान से जुड़ी हुई चार कथाएं

यह कहानियां सुनकर आप का सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा

पहली कहानी:-  


एक बार एक विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद जी के समीप आ कर बोली:-  मैं आप से विवाह करना चाहती हूं.
   विवेकानंद जी बोले:-  क्यों मुझ से क्यों ?  क्या आप जानती नहीं कि मैं एक सन्यासी हूं.
 महिला बोली:- मैं आपके जैसा ही गौरवशाली सुशील और तेजस्वी  पुत्र  चाहती हूं और यह तभी संभव है जब आप मुझसे  विवाह कर ले
   विवेकानंद जी बोले:-     विवाह तो संभव नहीं परंतु एक उपाय है
"आज से मैं आपका पुत्र बन जाता हूं आप मेरी मां बन जाओ आपको स्वत: मेरे जैसा बेटा मिल जाएगा."
          इतना सुनते ही वह औरत विवेकानंद जी के चरणों में गिर गई.
दूसरी कहानी:-


स्वामी जी अमेरिका में एक सम्मेलन में भाग ले रहे थे सम्मेलन के बाद कुछ पत्रकारों ने उनसे पूछा:- कि स्वामी जी आपके देश में किस नदी का जल सबसे अच्छा है

स्वामी जी का उत्तर था कि:- यमुना नदी का जल  सभी नदियों के जल से अच्छा है

 पत्रकारों ने फिर पूछा:- स्वामीजी आपके देशवाशी तो बोलते हैं कि गंगा नदी का जल सबसे अच्छा है

 स्वामीजी का उत्तर था:- कौन कहता है गंगा नदी है गंगा तो हमारी मां है और  उसका जल, जल  नहीं अमृत  है.
  तीसरी कहानी:-


विदेश यात्रा के दौरान  स्वामी जी का भगवा वस्त्र और पगड़ी देखकर लोगों ने  पूछा कि:- आपका बाकी सामान कहां है
 स्वामी जी बोले:- बस यही सामान है
 इस पर कुछ लोगों ने  कहा कि :- अरे यह कैसी संस्कृति है आपकी तन पर केवल भगवा चादर लपेट रखी है और कोट पतलून जैसा कुछ भी पहनावा नहीं है
 इस पर स्वामी जी मुस्कुराए और बोले:- हमारी संस्कृति आपकी
संस्कृति से  अलग  है आप की संस्कृति का  निर्माण दर्जी करते हैं  और  हमारी संस्कृति का निर्माण हमारा चरित्र करता है

  स्वामी विवेकानंद जी की चौथी कहानी:-

एक एक बार स्वामी विवेकानंद जी के स्वागत के लिए कई विदेशी आए हुए थे उन्होंने हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया और इंग्लिश में अभिवादन किया
 जबाब में स्वामी जी ने दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते कहा
उन लोगों को लगा कि शायद स्वामी जी को अंग्रेजी नहीं आती है तो उनमें से एक ने हिंदी में पूछा आप कैसे हैं?
 स्वामी जी ने अंग्रेजी में इसका जवाब दिया
उन लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ
 उन्होंने स्वामी जी से पूछा कि जब हमने आपसे इंग्लिश में बात की तो आपने हिंदी में उत्तर दिया और जब हमने हिंदी में पूछा तो आपने इंग्लिश में कहा इसका क्या कारण है?
 स्वामी जी ने  जवाब दिया:-" जब आप अपनी मां का सम्मान कर रहे थे तब मैं अपनी मां का सम्मान कर रहा था और जब आपने मेरी मां का सम्मान किया तब मैंने आपकी मां का सम्मान किया"
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रविवार, 17 जनवरी 2016

जाने-अनजाने विवेकानंद जी............

हेलो दोस्तों आज मैं आपको स्वामी विवेकानंद जी के जीवन से  जुड़ी हुई कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहा हूं  जिससे आप पहले अवगत ना हुए हो
  स्वामी विवेकानंद जी के जीवन से जुड़े हुए यह  तथ्य  कम ही लोगों को ज्ञात होंगे

                                                                         

  1. स्वामी विवेकानंद जी की मां ने  उनका नाम वीरेश्वर रखा था बाद में उनका नाम नरेंद्र नाथ दत्त रखा गया 
  2. पिता की मृत्यु के बाद स्वामी जी के परिवार ने बहुत गरीबी में जीवन बिताया  कई बार स्वामी जी दो दो  दिनों तक भूखे रहते थे ताकि परिवार के अन्य  लोगों को पर्याप्त भोजन  मिल सके
  3.  खेतड़ी के महाराजा अजीत सिंह  जी, स्वामी जी की मां को आर्थिक सहायता के तौर पर  नियमित रूप से 100 रुपए  भेजते थे यह प्रबंध एकदम गोपनीय था
  4. स्वामी जी को रसोई कला से बहुत  प्रेम था,  अमेरिका गए तो मिर्ची का  अचार साथ ले गए     लंदन मेंअपने मेहमानों को कचोरी तक बनाकर खिलाई 
  5. स्वामी जी ने भविष्यवाणी कर दी थी कि वे  40 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर सकेंगे यह बात तब      सत्य साबित हो गई जब उनकी मृत्यु  39  वर्ष की उम्र में हो गई. निधन की वजह तीसरी बार दिल का दौरा पड़ना था.
  6. स्वामी विवेकानंद जी भले ही महायोगी कहलाए हों पर उन्हें 31 बीमारियां थी जिनमें मधुमेह व अनिद्रा तक शामिल थी.
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मंगलवार, 12 जनवरी 2016

वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस से जाने सफल होने के गुरू मंत्र

      1974  में ब्लैक होल्स पर आसाधारण  रिसर्च करके उसकी Theory मोड़  देने  वाले स्टीफन  हॉकिंस साइंस की दुनिया के सेलिब्रिटी हैं,
                        


 इस वैज्ञानिक के दिमाग को छोड़ कर उनके शरीर का कोई भी भाग  काम नहीं करता है .
                       अपनी सफलता का राज बताते हुए उन्होंने कहा था,कि उनकी बीमारी ने उन्हें  वैज्ञानिक बनने में सबसे बड़ी भूमिका अदा की है बीमारी से पहले मैं पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं  देता था लेकिन बीमारी के दौरान उन्हें लगने लगा  की वह लंबे समय तक जिंदा नहीं रहेंगे तो उन्होंने अपना सारा ध्यान रिसर्च  पर लगा दिया     हॉकिंस ने ब्लैक  होल्स पर रिसर्च की है.

  जानिए हॉकिंस द्वारा कही गई ऐसी 10 बातें जो आप की सोचने का नजरिया बदल सकती है.

  1. अगली बार जब आपसे कोई कहे कि आपने गलती की है तो उससे कहें कि गलती करना अच्छी बात हो सकती है क्योंकि बिना गलतियों  के ना तो तुम और ना ही मैं जिंदा रह सकता हूं
  2. ज्ञान एक ऐसी शक्ति है जो आपको बदलाव को स्वीकार करने की क्षमता   सिखाती है
  3. मैंने नोटिस किया है कि ऐसे लोग जो यह कहते हैं कि वही होगा जो भाग्य में लिखा होगा ही सड़क पार करते समय गौर से देखते हैं
  4. मैं एक ऐसा  बच्चा हूं जो कभी बड़ा नहीं हो पाया मैं अभी भी कैसे  क्यों का सवाल करता हूं
  5. वह लोग जिंहें उनके  IQ पर बहुत घमंड होता है दरअसल वह  हारे हुए लोग होते हैं
  6. शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए मेरी यह सलाह है कि आपको आपकी शरीर की कमी कुछ  भी अच्छा करने से नहीं रोक सकती  और उसका अफसोस भी नहीं करना चाहिए.                                    अपने काम करने की sprit में अपंग होना बुरी बात है
  7. पिछले 49  सालों से मैं मरने का अनुमान लगा रहा हूं मैं मौत से डरता नहीं हूं ,मुझे मरने की कोई जल्दी नहीं है ,उससे पहले मुझे बहुत सारे काम करने है
  8.  पहली बात तो यह है कि हमेशा सितारों की ओर  देखो, न  की अपने पैरों की  ओर दूसरी बात कि मे कभी भी काम करना मत छोड़ो कोई काम आपको जीने का एक मक्सद देता है बिना काम के जिंदगी खाली लगने लगती है तीसरी बात यह कि अगर आप जिंदगी में खुश किस्मत हुए और आपको आपका प्यार मिल गया तो कभी भी  इसे अपनी जिंदगी से बाहर मत  फेंकना
  9. मनुष्य की सबसे बड़ी सफलताएं बात करने से हासिल हुई है और सबसे ज्यादा विफलता नहीं बात करने से हुई है, हम लोगों को हमेशा बात करने की जरुरत है.
  10. गुस्सा मानवता का सबसे बड़ा शत्रु है यह सभी कुछ बर्बाद कर देता है                                                                                  धन्यवाद

Stephen Hawking (स्टीफन हॉकिंग)

हेलो दोस्तों इस पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा स्टीफन हॉकिंस के बारे में तो आइए शुरू करते हैं.  

पूरा नाम:-  स्टीफन विलियम हॉकिंग

 जन्म:- ८ जनवरी १९४२

पद:-   विश्व प्रसिद्ध ब्रितानी भौतिक
विज्ञानी, ब्रह्माण्ड विज्ञानी, लेखक और
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड
विज्ञान केन्द्र (Centre for Theoretical
Cosmology) के शोध निर्देशक हैं।

पूर्व जीवन:-

स्टीफ़न हॉकिंग का जन्म ८ जनवरी १९४२ को
फ्रेंक और इसाबेल हॉकिंग के घर में हुआ।
परिवार वित्तीय बाधाओं के बावजूद, माता
पिता दोनों की शिक्षा ऑक्सफ़र्ड
विश्वविद्यालय में हुई जहाँ फ्रेंक ने आयुर्विज्ञान
की शिक्षा प्राप्त की और इसाबेल ने
दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र का
अध्ययन किया।  वो दोनों द्वितीय विश्व
युद्ध के आरम्भ होने के तुरन्त बाद एक चिकित्सा
अनुसंधान संस्थान में मिले जहाँ इसाबेल सचिव के
रूप में कार्यरत थी और फ्रेंक चिकित्सा
अनुसंधानकर्ता के रूप में कार्यरका

कार्य:-
स्टीफ़न हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी
को  समझाने में अहम योगदान दिया है। उनके पास
12 मानद डिग्रियाँ हैं और अमरीका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान उन्हें दिया गया है।



स्टीफन हॉकिंस के द्वारा कही गई कुछ बातें


  •   “ मुझे सबसे  ज्यादा खुशी इस
बात की है कि मैंने ब्रह्माण्ड
को समझाने में अपनी भूमिका
निभाई। इसके रहस्य लोगों के
खोले और इस पर किये गये शोध
में अपना योगदान दे पाया।
मुझे गर्व होता है जब लोगों
की भीड़ मेरे काम को जानना
चाहती है। ”

—स्टीफ़न हॉकिंग

 आप इस story  को jivankibate.blogspot.com में पढ़  रहे हैं

इच्छा मृत्यु पर विचार:-

  • “ लगभग सभी मांसपेशियों से

मेरा नियंत्रण खो चुका है और
अब मैं अपने गाल की मांसपेशी
के जरिए, अपने चश्मे पर लगे सेंसर
को कम्प्यूटर से जोड़कर ही
बातचीत करता हूँ। ”

—स्टीफ़न हॉकिंग
                                   
                                धन्यवाद
                                     

सोमवार, 11 जनवरी 2016

blog का उद्देश

       [ if you wants to read in English so you can translate Hindi to English and you can also translate with the help of Google translator. ]


उद्देश:- इस blog को बनाने का मेरा उद्देश                यह है कि इस blog के माध्यम से मैं आप सभी तक हर वह बात पहुंचाना चाहता हूं जो आपके जानने योग्य है और आपके जीवन को परिवर्तित करने के साथ-साथ आपके ज्ञान में भी वृद्धि करेगा यहां ज्ञान से मेरा मतलब सिर्फ university और किसी Class की पढ़ाई से ही नहीं हे बल्की उसके साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान,और हर तरह के ज्ञान से है.
      इस ब्लॉग को मैंने हिंदी में इसलिए बनाया है क्योंकि मैं समझ सकता हूं कि कुछ लोगों के लिए English मैं पढ़ पाना थोड़ा कठिन होता है मेरा यह भी उद्देश है की सभी इन सारी बातों को हिंदी में पढ़कर उन्हें अच्छे से समझ सके.
      आप कभी भी jivankibate.blogspot.in के माध्यम से Post को पढ़ सकते हैं और अपने comments भी दे सकते हैं
         मैंने  हर story को अलग-अलग जगह से आपके लिए jivankibate.blogspot.in में संग्रहित किया है 
यदि आप इन सभी post  को English  में पढ़ना चाहते हैं तो आप google translator का उपयोग कर सकते हैं 

                      धन्यवाद