जेब मे थे 50 रुपये ,आज करोड़पति है.:-
"उनके पास न तो बड़ा नाम था, न बड़ा आइडिया और न
ही बड़ी पूंजी. उनके पास
खोने के लिए कुछ भी नहीं था, लेकिन पाने
के लिए सारा आसमान पड़ा हुआ था. कुछ करने का जज्बा लिए हुए 50 रुपये के साथ ओमान की यात्रा पर निकलने वाले पीएनसी मेनन के पास आज करोड़ों की संपत्ति है."
उनकी जगह कोई और होता तो जीवन
भर अपने खराब भाग्य को कोसता रहता मगर उन्होंने सफलता की ऐसी इबारत लिखी जो एक
मिसाल बन गई है. केरल के कृषक परिवार में जन्मे मेनन के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी
नहीं थी. वे जब 10 साल के थे तभी उनके पिता की मौत हो गई थी.
मेनन ने बड़ी मुश्किल से प्राथमिक शिक्षा पाई. उनका परिवार उन्हें बीकॉम की
डिग्री नहीं दिलवा सका और संसाधनों के
अभाव में उन्हें कॉलेज छोड़ना पड़ा. बिना किसी
प्रोफेशनल एजुकेशन के उन्होंने इंटीरियर एंड डिजाइन वाले छोटे फर्मों में काम करना शुरू कर दिया. इसी दौरान उन्होंने बिजनेस की हर छोटी-
बड़ी बात सीखी. 1976 में
उनकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई, जिसका नाम
सुलेमान था. उसने उन्हें ओमान बुलाया. ओमान जाने के समय
उनके पास सिर्फ 50 रुपये थे. मेनन जब ओमान पहुंचे तो उन्हें
ऐसा लगा जैसे वह अभी तक 13वीं
सदी में जी रहे थे और अचानक से 21
वीं सदी में आ गए हों.
जिस व्यक्ति ने उन्हें वहां बुलाया था वह भी
मध्यमवर्गीय परिवार से था. मेनन ने वहां
इंटीरियर डेकोरेशन का काम शुरू किया. रुपये
की कमी के अलावा भाषा, पहचान
की कमी और प्रोफेशनल एजुकेशन
की कमी बिजनेस के रास्ते में बाधा बन
रही थी. दिन-रात की
कड़ी मेहनत के बाद 1984 में मेनन ओमान के बड़े
व्यवसायियों में गिने जाने लगे. उनकी
कंपनी 'द सर्विस ट्रेड ग्रुप ऑफ
कंपनीज' ओमान की टॉप कंपनियों में
शामिल हो गई. मेनन 2007-8 में फोर्ब्स की ओर से
जारी की गई अरबपतियों की
लिस्ट में शामिल हो चुके हैं.
ओमान के अलावा मेनन ने भारत में भी बिजनेस
की शुरुआत की. यहां उन्होंने
अपनी पत्नी के नाम पर 'शोभा डेवलपर्स'
की नाम की कंपनी
खोली. इस कंपनी का टर्नओवर 1500
करोड़ है. अपनी पत्नी के नाम पर
कंपनी खोलने के पीछे उनका मानना है कि
उनकी पत्नी उनके लिए
काफी भाग्यशाली हैं क्योंकि जब से
उनकी शादी हुई है वे सफलता के शिखर
पर पहुंचते गए हैं. भारत में यह कंपनी 12 राज्यों में
चल रही है. इस कंपनी में
करीब तीन हजार लोग काम कर रहे हैं.
मेनन इस कंपनी को भारत के अलावा खाड़ी
देशों में बढा़ने के बारे में भी सोच रहे हैं.
Jivankibate.blogspot.in
"उनके पास न तो बड़ा नाम था, न बड़ा आइडिया और न
ही बड़ी पूंजी. उनके पास
खोने के लिए कुछ भी नहीं था, लेकिन पाने
के लिए सारा आसमान पड़ा हुआ था. कुछ करने का जज्बा लिए हुए 50 रुपये के साथ ओमान की यात्रा पर निकलने वाले पीएनसी मेनन के पास आज करोड़ों की संपत्ति है."
उनकी जगह कोई और होता तो जीवन
भर अपने खराब भाग्य को कोसता रहता मगर उन्होंने सफलता की ऐसी इबारत लिखी जो एक
मिसाल बन गई है. केरल के कृषक परिवार में जन्मे मेनन के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी
नहीं थी. वे जब 10 साल के थे तभी उनके पिता की मौत हो गई थी.
मेनन ने बड़ी मुश्किल से प्राथमिक शिक्षा पाई. उनका परिवार उन्हें बीकॉम की
डिग्री नहीं दिलवा सका और संसाधनों के
अभाव में उन्हें कॉलेज छोड़ना पड़ा. बिना किसी
प्रोफेशनल एजुकेशन के उन्होंने इंटीरियर एंड डिजाइन वाले छोटे फर्मों में काम करना शुरू कर दिया. इसी दौरान उन्होंने बिजनेस की हर छोटी-
बड़ी बात सीखी. 1976 में
उनकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई, जिसका नाम
सुलेमान था. उसने उन्हें ओमान बुलाया. ओमान जाने के समय
उनके पास सिर्फ 50 रुपये थे. मेनन जब ओमान पहुंचे तो उन्हें
ऐसा लगा जैसे वह अभी तक 13वीं
सदी में जी रहे थे और अचानक से 21
वीं सदी में आ गए हों.
जिस व्यक्ति ने उन्हें वहां बुलाया था वह भी
मध्यमवर्गीय परिवार से था. मेनन ने वहां
इंटीरियर डेकोरेशन का काम शुरू किया. रुपये
की कमी के अलावा भाषा, पहचान
की कमी और प्रोफेशनल एजुकेशन
की कमी बिजनेस के रास्ते में बाधा बन
रही थी. दिन-रात की
कड़ी मेहनत के बाद 1984 में मेनन ओमान के बड़े
व्यवसायियों में गिने जाने लगे. उनकी
कंपनी 'द सर्विस ट्रेड ग्रुप ऑफ
कंपनीज' ओमान की टॉप कंपनियों में
शामिल हो गई. मेनन 2007-8 में फोर्ब्स की ओर से
जारी की गई अरबपतियों की
लिस्ट में शामिल हो चुके हैं.
ओमान के अलावा मेनन ने भारत में भी बिजनेस
की शुरुआत की. यहां उन्होंने
अपनी पत्नी के नाम पर 'शोभा डेवलपर्स'
की नाम की कंपनी
खोली. इस कंपनी का टर्नओवर 1500
करोड़ है. अपनी पत्नी के नाम पर
कंपनी खोलने के पीछे उनका मानना है कि
उनकी पत्नी उनके लिए
काफी भाग्यशाली हैं क्योंकि जब से
उनकी शादी हुई है वे सफलता के शिखर
पर पहुंचते गए हैं. भारत में यह कंपनी 12 राज्यों में
चल रही है. इस कंपनी में
करीब तीन हजार लोग काम कर रहे हैं.
मेनन इस कंपनी को भारत के अलावा खाड़ी
देशों में बढा़ने के बारे में भी सोच रहे हैं.
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